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Mata Saraswati Ji

श्री सरस्वती चालीसा

Shri Saraswati Chalisa

Mata Saraswati Ji
॥दोहा॥
जय वीणावादिनी ज्ञान दे। माँ शारदे गुण खान दे॥
॥चौपाई॥
जय सरस्वती माता।
ज्ञान दायिनी ग्यान दाता॥
वीणा वादन प्रिय तुम्हारे।
सुर सुन मन होत सुखारे॥
रतन जड़ित तुव सिंहासन।
तेज पुंज सम उज्ज्वल वदन॥
शुभ्र वसन अति शोभा देत।
सुन्दर छवि मन हर्ष भरेत॥
स्वर्ण कमल पर ध्यान धर्यो।
नील कमल पर वीणा धर्यो॥
हंस वाहन साजै सवारी।
अरुण वरण मुख छवि न्यारी॥
मुक्ता हार गले शोभा।
प्रकटी है जग आदि प्रलोभा॥
वाणी कल्याणी ज्ञान दाता।
सुबुद्धि दे मोहे सुख माता॥
महा ज्ञानी महा मति वाली।
मंगल करनी कल्याण शाली॥
सुर नर मुनि जन सब गुण गावें।
मूर्ख होहिं चतुर बनावें॥
बुद्धि दे करुणामयी माता।
ज्ञान प्रकाश करो दिन राता॥
सुर गुरु पूजहि पाद तुम्हारे।
सकल लोक में पुण्य अधारे॥
नन्दन वन में कीरत गाई।
तुलसी तुव महिमा बढ़ाई॥
लीला अनन्त न पार पाई।
शेष सहस मुंहन ते गाई॥
मंगल मूरति मंगल करनी।
अकल अचल अविनाशी वर्णी॥
हे वीणापाणी वर दे माता।
ज्ञान शक्ति दे पूर्ण कामना॥
जानी वेगी जननी जगदम्बा।
करहुं स्तुति तुव हृदय विशम्भा॥
कृपा करहु हे माता रानी।
चित्त लगाऊं तुव गुण बखानी॥
जो सुमिरै तुव नाम सदा।
पाऊं सुमति सुजान सदा॥
राम नाम गुण गान करावें।
भव सिन्धु से पार लगावें॥
नारद शारदा नाम पुकारै।
बिपत्ति काल में आप उबारै॥
वह जग में अधिकारी होवै।
नाम तुम्हार जो मन में लोवै॥
कहि पूरन यह चालीसा।
पावे पद्माकर बल सा॥
॥दोहा॥
श्री सरस्वती कृपा करहु सब विद्या दे।
काल कलेश हर लेहु माँ जय जय जय मंगल दे॥
🙏॥ जय श्री राम ॥🙏